From my family and me to your family and you
Here's wishing everyone Shehrullah Mubarak. May Allah grant us Sabr and Strength to do Roza and His Ibaadat with ease and comfort
May we spend the month with a little bit more honesty and integrity than what we do all year long.
i for one pray that i am able to control my temper and loose tongue. i shall pray to Allah to keep us all safe from harm and temptation.
and to end it all, we wish us all good health and hopefully no upset stomachs this year
Ramzan Mubarak everyone
Shehrullah Mubarak
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- Joined: Tue Apr 15, 2014 12:46 am
Re: Shehrullah Mubarak
Lailatul-Qadr mubarak to you, bhai.
And to everybody else too.
And to everybody else too.
Re: Shehrullah Mubarak
Lailatul-Qadr mubarak to you and everyone at home.
And Mubarak to everybody else too.
And Mubarak to everybody else too.
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- Joined: Wed Jun 29, 2011 11:24 am
Re: Shehrullah Mubarak
शबे क़द्र में ज़ाती तौर पर दुआ की गुज़ारिशों की रस्म पर अमल करते हुए कितने लोग, कितनों को दुआ में याद करते हैं ये तो नहीं कहा जा सकता मगर वक़्त और हालात की ज़रूरत तो ये है कि इन मख़सूस अय्याम और इस ख़ास रात में पूरी मिल्लत के लिए दस्ते दुआ बलंद किए जाएं।
बाहमी इत्तेहाद के साथ साथ, दीन की रूह तक पहुंचने, क़ुरआन को समझ कर पढ़ने, शख़्सियत परस्ती और तवह्हुमात से बचने की दुआ करना हमारे ईमान का तक़ाज़ा है।
दरअसल आज इस्लाम, पुरखों से मीरास में मिली हुई रस्म और तहज़ीब में सिमट कर रह गया है।
*रह गई रस्मे अज़ां रूहे बिलाली न रही*
हिंदुस्तान समेत दुनियाभर में मुसलमानों पर जो ज़मीन तंग की जा रही है उसके लिए भी बारगाहे एज़िदी में इजतेमाई दुआ की अशद ज़रूरत है। जिस नहज पर आज हिंदुस्तान की सियासत जा रही है उस से लगता है कि इस मुल्के आज़ीज़ में हमारी आने वाली नस्लों का मुस्तक़बिल भी ख़तरे में है। अल्लाह दुश्मनों के शर से सब की हिफ़ाज़त फ़रमाए। आमीन या रब्बल आलमीन!
बाहमी इत्तेहाद के साथ साथ, दीन की रूह तक पहुंचने, क़ुरआन को समझ कर पढ़ने, शख़्सियत परस्ती और तवह्हुमात से बचने की दुआ करना हमारे ईमान का तक़ाज़ा है।
दरअसल आज इस्लाम, पुरखों से मीरास में मिली हुई रस्म और तहज़ीब में सिमट कर रह गया है।
*रह गई रस्मे अज़ां रूहे बिलाली न रही*
हिंदुस्तान समेत दुनियाभर में मुसलमानों पर जो ज़मीन तंग की जा रही है उसके लिए भी बारगाहे एज़िदी में इजतेमाई दुआ की अशद ज़रूरत है। जिस नहज पर आज हिंदुस्तान की सियासत जा रही है उस से लगता है कि इस मुल्के आज़ीज़ में हमारी आने वाली नस्लों का मुस्तक़बिल भी ख़तरे में है। अल्लाह दुश्मनों के शर से सब की हिफ़ाज़त फ़रमाए। आमीन या रब्बल आलमीन!